उन्हें अपने मुखिया की ज़मीन पर काम करना होता था और उस पर काम पूरा होने के बाद ही वे अपनी जमीन पर काम कर सकते थे।
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इसी साल जनवरी के शुरू में ही जब टाटा स्टील ने अपनी ख़रीदी ज़मीन पर काम करना शुरू किया, तो नाराज़ तीर-कमान और कुल्हाड़ी से लैस गाँववालों ने इसे रोकने की कोशिश की.